इंदिरा गाँधी नहर राजस्थान India Hindi

इंदिरा गाँधी नहर राजस्थान India Hindi

इंदिरा गाँधी नहर राजस्थान  India Hindi
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बुधवार, 9 जून 2021



Indira Gandhi Canal Project Rajasthan (इंदिरा गाँधी नहर 'राजस्थान) Hindi

 

 

 

 

 

 

     

 

इंदिरा गाँधी नहर (अंग्रेज़ी: Indira Gandhi Canal)‌ को 'राजस्थान नहर' के नाम से भी जाना जाता है। यह राजस्थान के उत्तर-पश्चिम भाग में बहती है। राजस्थान की महत्वाकांक्षी 'इंदिरा गाँधी नहर परियोजना' से मर्यस्थलीय क्षेत्र में चमत्कारिक बदलाव आ रहा है और इससे मरुभूमि में सिंचाई के साथ ही पेयजल और औद्योगिक कार्यों के लिए भी पानी मिलने लगा है। पहले इस नहर को 'राजस्थान नहर' के नाम से जाना जाता था। अब इसका नया नाम 'इंदिरा गाँधी नहर' है। इंदिरा गाँधी नहर के निर्माण से पूर्व लोगों को कई मील दूर से पीने का पानी लाना पडता था, लेकिन अब परियोजना के अंतर्गत 1200 क्यूसेक पानी केवल पेयजल उद्योग, सेना एवं ऊर्जा परियोजनाओं के लिए आरक्षित किया गया है। विश्व की सबसे बड़ी नहर विश्व की सबसे बड़ी 649 किलोमीटर लम्बी नहर ने राजस्थान के मरु प्रदेश में जिस हरित क्रांति को जन्म दिया, जिस औद्योगिक क्रांति से विकास किया और जिस समाजिक क्रांति से जन-चेतना को जाग्रत किया, उसका श्रेय इन्दिरा गाँधी नहर को है। यह वही विशाल नहर है, जो मरु गंगा के नाम से विख्यात है और जिसके कारण पर्यावरण में ऐसा सुधार हुआ है कि बालू के टीलों वाले प्रदेश के उस क्षेत्र का भूगोल ही बदल गया है। भूगोल बदलने से पश्चिमी राजस्थान के नए इतिहास की संरचना हो रही है।

 

 

 इस नहर की लम्बी जल-यात्रा सही अर्थों में जय यात्रा है। दुर्गम व कठोर मरुस्थल, असाधारण व असहनीय तापक्रम और विपरीत व भयानक भौगोलिक परिस्थितियों के बीच इस जल विहीन और निर्जन क्षेत्र में नहर का निर्माण कर हिमालय का हिम-जल पहुँचाना यथार्थ में प्रकृति के विरुद्ध एक साहसी कदम था। लेकिन राजस्थान ने इस चुनौती को स्वीकारा और कड़े परिश्रम से प्रकृति पर विजय प्राप्त की। इससे बालू के टीलों में नया कलरव आया है। हजारों श्रमिकों और इंजीनियरों ने अपने श्रम साहस लगन और कौशल से तीन दशक पूर्व सोचे गए सपने को साकार किया। रेत के टीलों से भरे क्षेत्र में वर्षा का अभाव और जल स्रोतों की कमी के कारण जहाँ लोग पानी-पानी को तरसते थे, वहाँ की अब काया पलट हो गई है और रेत के टीले हरे भरे खेतों में विकसित हो गए हैं। 

 

मरुस्थल की भयावहता की स्थिति में जिस प्रकार यह इन्दिरा गाँधी नहर एक नहर रूपी नदी के रूप में अवतरित हुई, उसका उदाहरण विश्व में अन्यत्र नहीं मिलता। पंजाब के हरे भरे क्षेत्र हरित बैराज से राजस्थान के सीमान्त क्षेत्र बाड़मेर ज़िले में गडरा रोड तक की नहर की कल्पना कैसे साकार हो रही है, यह आश्चर्य है। नहर प्रणाली की कुल लम्बाई 8,836 किलोमीटर है। इससे भूमि के मूल्य में पाँच हजार करोड़ रुपये की वृद्धि हो गई है। इन्दिरा गाँधी नहर न मरु गंगा है और न सरस्वती, यह तो वास्तव में बूँद-बूँद को सदियों से तरसते क्षेत्र के लिये ‘जीवन रेखा’ है या कहिए कि राजस्थान के चहुँमुखी विकास की ‘भाग्यश्री’ है। रेत के समुद्र और बालू रेत के पहाड़ जैसे टीलों का यह भाग कोई 2.34 लाख वर्ग किलोमीटर थार के रेगिस्तान का अधिकांश भाग है। यहाँ के भूगोल, जलवायु और पर्यावरण में इतना बड़ा परिवर्तन आया है कि सुख, समृद्धि और कल्याण की परिभाषा यहाँ के नागरिक समझने ही नहीं लगे हैं वरन् उन्होंने इस प्रकार के जीवन में जीना अब सीख लिया है। आरम्भ में यह कल्पनाशील नहर राजस्थान के नाम से थी, परन्तु स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी के देहान्त के बाद उनकी स्थाई स्मृति के लिये इसका नाम इन्दिरा गाँधी नहर कर दिया गया। इस नहर से पूरे मरु प्रदेश में चहुँमुखी प्रगति हुई है। प्रोजेक्ट पूरा होने पर इस क्षेत्र की जनसंख्या कोई एक करोड़ बढ़ जाएगी। लगभग 40 नए शहरों का निर्माण होगा। 6 हजार नए ग्राम विकासित हो जाएंगे। अभी 1,500 ग्रामों को पीने के पानी का लाभ मिल रहा है। बालू के टीलों के अंधड़ काफ़ी कम हो गए हैं- उनकी तूफानी गति कम हो गई है और 1.46 लाख हेक्टेयर भूमि में वन विकास कार्य किया जा रहा है। अभी सिंचाई 7.10 लाख हेक्टेयर भूमि में होती है। 

नहर पूरा होने पर अब सिंचाई कार्य 15.37 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में करने का लक्ष्य है। इस प्रकार 8.50 हेक्टेयर नए क्षेत्र में सिंचाई क्षमता अर्जित की गई है। पशु पालन में वृद्धि, लाखों लोगों को अतिरिक्त रोजगार और दुग्ध विकास में बढ़ोत्तरी इस योजना के परिणाम हैं। किसे मालूम नहीं है कि पूरे देश का चना अधिकांश में इसी नहर क्षेत्र में उत्पन्न होता है। कपास की खेती ने सभी आंकड़े तोड़ दिए है। मूँगफली सभी स्थानों पर यहाँ से पहुँचती है। यहाँ का माल्टा देश भर में रक्त की शक्ति ऊर्जा बढ़ा रहा है। गेहूँ-चावल आदि के अपूर्व भंडार हैं। सरसों के उत्पादन ने भी रिकॉर्ड बना लिया है। नए-नए उद्योग पनप गए हैं। यहाँ कोई 550 करोड़ रुपये का वार्षिक कृषि उत्पादन होता है। इंदिरा गाँधी नहर परियोजना की नौ शाखाएं हैं- रावतसर (हनुमानगढ़) - यह इंदिरा गाँधी नहर परियोजना की प्रथम शाखा है, जो एक मात्र ऐसी शाखा है, जो नहर के बांयी ओर से निकलती है।

 सुरतगढ़ (श्रीगंगानगर) अनूपगढ़ पुगल (बीकानेर) चारणवाला दातौर बिरसलपुर शहीद बीरबल (जैसलमेर) सागरमल गोपा इंदिरा गाँधी नहर परियोजना की 4 उपशाखाएं हैं- लीलवा दीघा बरकतुल्ला ख़ाँ (गडरा रोड उपशाखा) बाबा रामदेव उपशाखा जल का नियमित बहाव इंदिरा गाँधी नहर परियोजना में पानी के नियमित बहाव के लिए निम्न उपाय हैं- व्यास - सतलुज नदी पर बांध व्यास नदी पर पौंग बांध रावी - व्यास नदियों के संगम पर पंजाब के माधोपुर नामक स्थान पर एक लिंक नहर का निर्माण। इन्दिरा गाँधी नहर राजस्थान की प्रमुख नहर हैं। इसका पुराना नाम "राजस्थान नहर" था। यह राजस्थान प्रदेश के उत्तर-पश्चिम भाग में बहती है। इसे राजस्थान की मरूगंगा भी कहा जाता है। यह नहर राजस्थान में हनुमानगढ़ जिले के मासितावाली हैड में प्रवेश करती है। 

 

इंदिरा गाँधी नहर राजस्थान India Hindi
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